रविवार, 13 अक्तूबर 2019

.💚 जिस किसी को भी हिन्दुस्तान के राजा हजरत ख्वाजा गरीब नवाज  के बारे में जानना है की वो कितनी बड़ी शख्सियत है तो इस पोस्ट को जरूर अव्वल से आखिर तक पढ़े थोडा बड़ा जरूर है पर इसको पढ़ कर ईमान ताजा हो जाएगा .......!

💚 हजरत ख्वाज़ा मोईनुद्दीन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैही
अलक़ाब:- ख्वाजा गरीब   नवाज                    ** अता-ऐ-रसूल **
सल्ललाहो अलैहि वसल्लम
आप की विलादत संजर जो मुल्क असफहान के शहर खुरासान के करीब में है, में 530 हिजरी (1136) में हुई..!
 आपके वालिद का नाम ख्वाजा सैय्यद गयासुद्दीन बिन अहमद हसन रहमतुल्लाह अलैहि  है जो  हुसैनी सादात है और वालिदा का नाम बीबी उम्मुल वरा ( बीवी माहेनूर) बिन्ते हजरत सैय्यद दाऊद रहमतुल्लाह अलैहि है जो की हसनी सादात है 8 बरस की उम्र में आपके वालिद का इंतेक़ाल हो गया और 15 बरस की उम्र में आपकी वालिदा का इंतेक़ाल हो गया

💚 544 हिजरी में एक बार आप अपने फलो के बगीचे में काम कर रहे थे, तब हजरत इब्राहिम कंदोजी नाम के एक दरवेश वहाँ आये और बेठे. आपने उनको अपने बगीचे में से अंगूर का गुच्छा पेश किया और उन्हों ने उसे खाया और मेहमान नवाजी से खुश होकर अपने थैले में कुछ निकाला और उसको चबाकर ख्वाज़ा मोईनुद्दीन को खाने के लिए दिया आपने खुशी के साथ उसको खाया तो उनके फैजो बरकात से आपके लिए इल्मो हिकमत के दरवाजे खुल गए और आप ने अपना सब कुछ बेच दिया और उस रकम को गरीबो और मोहताजो को खैरात कर दिया और फिर आप समरकंद और बुखारा की तरफ इल्मे दीन सिखने के लिए रवाना हो गए

💚 544 से 550 हिजरी तक आप वहाँ हजरत मौलाना हिसामुद्दीन और हजरत मौलाना शरफुद्दीन के पास इल्मे दीन सीखते रहे!
550 हिजरी में आपकी मुलाकात हुजूर गौसे आजम रदियल्लाहो तआला अन्हो से हुई
आप एक कामिल पीर तलाश रहे थे की आपने ख्वाज़ा उस्मान हारूनी रहमतुल्लाह अलैहि के बारे में सुना.
552 हिजरी में आप उनके पास गए और उनके मुरीद हुए..!  और इबादतें इलाही और खिदमते मुर्शिद करते रहे..!

💚 एक बार ख्वाज़ा उस्मान हारूनी ने आपसे कहा के मोईनुद्दीन नीचे देखो क्या दिखता है..???
आपने नीचे देखकर कहा की में जमीन के अंदर देख सकता हूं ‘
मुर्शिद ने फिर कहा की अब ऊपर देखो, क्या दिखता है ..??? आपने ऊपर देखकर कहा की में आसमान के अंदर देख सकता हूं..! मुर्शिद ने फिर फरमाया की में तुम्हे इससे भी आगे पहुँचाना चाहता हूं, फिर 22 साल मुर्शिद की खिदमत में गुजारने के बाद एक दिन मुर्शिद ने फिर बुलाकर अपनी दो उंगलिया आप की दोनों आँखों के बीच में रखी और फिर फरमाया मोईनुद्दीन नीचे देखो क्या दिखता है..??
आपने नीचे देखकर कहा में तहतुस्सरा तक देख सकता हूं यानी 7 तबक जमीन के नीचे तक ’ फिर मुर्शिद ने कहा ‘अब ऊपर देखो क्या दिखाई देता है..??’
आपने ऊपर देखकर कहा की ‘में अर्शे आज़म तक देख सकता हूं'
ख्वाज़ा उस्मान हारुनी ने खुश होकर आपको खिलाफत अता फरमाई.

💚 एक बार आपके मुर्शिद ख्वाज़ा उस्मान हारुनी रहमतुल्लाह अलैहि ने अपने सब मुरीदो को जमा करके कहा के मेने तुम्हे जो इल्म सिखाया है उससे कुछ करामात पेश करो...! सब मुरीदो ने बारी बारी करामात से कोई चीज़  पेश की किसी ने सोना, किसी ने चांदी, किसी ने हीरे जवाहरात,तो किसी ने दीनारों दिरहम पेश किये,
ख्वाजा मोईनुद्दीन ने रोटी के टुकड़े पेश किये..!
सब मुरीद आप पर हंसने लगे., इतने में दरवाजे पर एक साइल ने आवाज़ दी के में कई दिनों से भूखा हूं मुझे खाने के लिए कुछ दे दो.’ सब ने अपनी अपनी चीज़े उसको देनी चाही. मगर उस साइल ने कहा के में इस सोने चांदी हीरे जवाहरात दीनारों दिरहम का क्या करुँ..?
मुझे तो खाने के लिए कुछ दे दो..! फिर ख्वाज़ा मोईनुद्दीन ने रोटी के टुकड़े उस साइल को दे दिए. उसने उसे लेकर आपको बहुत सारी दुआऐं दी.!
इसके बाद ख्वाज़ा उस्मान हारुनी ने फरमाया के ऐ मोईनुद्दीन तुम गरीब नवाज़ हो

💚 555 हिजरी में शेख जियाउद्दीन अबू नजीब अब्दुल कादिर सोहरवर्दी रहमतुल्लाह अलैहि से मुलाकात हुई..!

💚 563 हिजरी में ख्वाज़ा उस्मान हारुनी ने आपको जुब्बा मुबारक अता किया और अपने साथ हज को लेकर गए..! जब बैतुल्लाह शरीफ़ में हाजिर हुए तो आपके पीरों मुर्शीद ने आपका हाथ पकड़ कर दुआ की
"" ऐ खुदावंद ! में अपने मोईनुद्दीन के लिए तुझसे 3 चीजो का तलबगार हूं ! गैब से आवाज़ आई " ऐ उसमान ! मोईनुद्दीन के लिए जो कुछ तलब करोगे दिया जाएगा ! ये हुक्म पाकर आपने अर्ज़ किया " ऐ खुदावंद तू मेरे मोईनुद्दीन को कुबूल फरमा !"
इरशादे बारी हुआ "हमने कुबूल किया" फिर अर्ज़ किया "मेरे मोईनुद्दीन को मुझसे ज्यादा शोहरत अता फरमा ! इरशादे बारी हुआ " हमने कुबूल किया"
"फिर अर्ज़ किया मेरे मोईनुद्दीन में अपने जलवे और अपने हबीब सल्ललाहो अलैहि वसल्लम की शान पैदा फरमा" ! इरशादे बारी हुआ की ये दुआ भी मेने कुबूल की..! आखिर वक़्त में इस दुआ का इस त